मेरी प्रिंसेस
मेरी प्रिंसेस
कहते हैं, एक टीचर को अपने हर स्टूडेंट में अपना बच्चा ही दिखता है लेकिन क्या हो जब एक स्टूडेंट को अपनी टीचर में मां मिल जाए ये कोई कल्पनकी कहानी नहीं है, ये सच्ची कहानी है, जो मैं आज आपको सुना रही हूं..…........
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ये बात है सन् 2019 की
एमपी बैरागढ़ के एक स्कूल श्री विद्या निकेतन माधव आश्रम।
जहा 8th क्लास में एक 14 साल की लड़की पढ़ती थी, जिसका नाम था तनुजा सिंगरोली थोड़ी शरारती थी ,जितना जल्दी रोती उससे भी जल्दी हसने लगती दोस्तों और टीचर्स के साथ हंसती खेलती और पढ़ाई करती, स्कूल दोस्त और टीचर्स उसकी दूसरी फैमली थी।
जिसके साथ वो बोहोत खुश रहती थी। लेकिन उसे भगवान से हमेशा एक शिकायत रहती की "आपने मुझ क्यों एक शख्स एक, इंसान ,एक अपना ऐसा नहीं दिया जो मुझ समझे मुझे प्यार करे मेरी केयर करे"
वो जब भी कही भी किसी भी मंदिर जाती ,रास्ते में जो भी मंदिर, मज़्जिद, गुरुद्वारा और चर्च मिलता वो बस यही मांगती, मुझे उससे मिलवाओ जो मुझे मेरी तरह समझे ,कहते हैं ना भगवान से दिल से कुछ भी मांगो वो देते हैं"
आखिर वो दिन आ ही गया जब तनुजा का इंतजार खत्म हुआ।
उसके स्कूल में एक टीचर आई जिनका नाम था
"मिस ज्योति पांडे"
जो थी तनुजा की इंग्लिश टीचर
जो दिखने में बोहोत ही ज़्यादा स्ट्रिक्ट थी। गुड मॉर्निंग और गुड आफ्टरनून तो बाद में उन्होंने हाथ में अपनी स्टिक के साथ बोला "मेरी क्लास में बिलकुल शोर नहीं होगा, कोई बात नही करेगा सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई होगी"
इतनी स्ट्रिक्ट टीचर को देख बच्चों को थोड़ा गुस्सा आया, और बुरा लगा उन्हें वो टीचर पसंद नहीं आई, सब बच्चों ने फैसला लिया की इन टीचर को स्कूल से निकलवाना है
दूसरे दिन जब टीचर क्लास में एंटर हुईं बच्चों ने उन्हें गुड मॉर्निंग विश किया, और किया देखा जो टीचर कल तक गुस्से और स्टिक से बात करती थी ,उन्होंने क्लास को एक प्यारी स्माइल के साथ गुड मॉर्निंग बोला
बच्चे शॉक्ड हो गए लेकिन साथ ही साथ वो खुश भी थे। क्योंकि जैसा पहले दिन टीचर ने अपने आप को बताया वो उससे बिल्कुल अलग थी। वो बच्चों को ,एक एक वर्ड प्यार से समझती और पढ़ाती। उन्होंने बोला "ऐसा नही है की में स्ट्रिक्ट हूं या गुस्से वाली हूं, लेकिन हां पढ़ाई के टाइम सिर्फ पढ़ाई"
"ऐसा नहीं है की मस्ती नही होंगी, लेकिन सबसे पहले पढ़ाई" धीरे धीरे वक्त गुजरता गया कुछ दिन ,कुछ हफ्ते, कुछ महीने। अब बच्चों की गुस्से वाली टीचर अच्छी और प्यारी टीचर बन गई थी। बच्चे उनके साथ घुल मिल गए थे, वो टीचर के साथ मजाक मस्ती करते और पढ़ाई करते। सब ग्रुप बनाकर पढ़ाई करते ,टीचर सामने और बच्चे उनके अगल -बगल!
सबको उनका बेसब्री से इंतजार रहता।लेकिन तनुजा से वैट नही होता तो कभी कभी वो खुद टीचर को अपने साथ लेके आती। तनुजा को उनसे बात करना उनके साथ पढ़ना अच्छा लगने लगा।सब बोहोत खुश थे इतनी अच्छी टीचर को पा कर।
लेकिन फिर एक दिन अचानक टीचर को स्कूल से जाना पड़ा क्लास में कोई भी खुश नही था, क्योंकि वो अपनी टीचर को जाने नहीं देना चाहते थे। किसे पता था जिस टीचर को वो स्कूल से निकालना चाहते थे, एक दिन उनके जाने से सबको दुःख होगा लेकिन जाना जरूरी था। जाते जाते टीचर सब बच्चों को बोहोत सारा प्यार और ब्लेसिंग्स देकर गई!
"कहते हैं किसी के चले जाने से जिंदगी नही रुकती, लेकिन तनुजा के लिए तो ऐसा ही था क्युकी उसे उसकी टीचर के साथ अच्छा लगता था, और उसे उनकी आदत भी हो गई"
टीचर के स्कूल से जाने के बाद तनुजा को उनकी बोहोत याद आई। एक दिन तनुजा ने अपनी टीचर से बात करने के लिए डाउट क्लियर करने के बहाने से कॉल किया उनसे बात की ओर कॉल कट करने से पहले उसे परमिशन भी मिल गई थी ,की वो कभी भी कॉल कर सकती है। बस फिर किया था तनुजा के खुशी का ठिकाना ही नही रहा। उसे जब भी याद आती वो बात कर लेती ,जैसे की आप सब जानते हैं तनुजा थोड़ी शरारती थी।
उसने एक दिन अननोन नंबर से टीचर के पास मेसेज किया।
"हाय! में तरुण"
कैसे हो आप?
उम्मीद है ठीक ही होंगे
में आपके बारे में सब जानता हूं ,आप भोपाल में रहती हैं माधव आश्रम स्कूल में बच्चों को पढ़ाती हैं, और मुझे आप बोहोत अच्छी लगती हैं"
टीचर को लगा सच में ये लड़का है उन्होंने कहा "मैं मैरिड हूं" बोहोत देर परेशान करने के बाद तनुजा ने बताया कि मैं तरुण नहीं आपकी स्टूडेंट तनुजा हूं।
अब किसी को इतना परेशान करेंगे तो गुस्सा आना तो जाहिर सी बात है।
अब तनुजा को कहा पता था कि टीचर उसकी बहन को कॉल कर के सब बता देंगी ,की उसने लड़का बनकर उन्हें परेशान किया। फिर किया था तनुजा को जोरदार डांट पड़ी!
कुछ दिन बाद तनुजा ने टीचर से बोला "आपने मेरी बहन को क्यों बताया ? ये सब आप मुझे ही डांट लेते" टीचर को तनुजा पर दया आ गई उन्होंने बोला "सॉरी बच्चा मुझे नहीं पता था ,तुम्हारी बहन डांट देगी ,मैं करती हूं उससे बात"
फिर किया था तनुजा खुश हो गई। उस टाइम उसके पास फोन नहीं था। और पापा का फोन भी चला गया उसकी गलती के बाद, लेकिन शैतान तनुजा कहा मानने वाली थी उसने अपनी बहन के फोन से टीचर से बात की!
वक्त निकलता गया तनुजा और टीचर की अच्छी बनने लगी ,बात होने लगी तनुजा अपनी हर बात अपनी टीचर से शेयर करती ,उन्हे अपनी हर बात बताती। वो दोनो साथ में बोहोत खुश थे, एक दिन टीचर ने तनुजा से बोला "मैने तुम्हारा एक नाम रखा है"
और वो नाम बोहोत प्यारा था। और वो नाम था (एंजल) तनुजा को नाम बोहोत पसंद आया ,और उसने भी अपनी टीचर का नाम रखा और वो नाम था।(प्रिंसेस) ये नाम सिर्फ नाम नहीं था ,तनुजा के लिए उसकी टीचर रियल लाइफ प्रिंसेस बन गई थी, और उसे वो शख्स एक टीचर के रूप में मिला , जिसे वो भगवान से हमेशा मांगती थी जो अब उसकी प्रिंसेस थी। प्रिंसेस के आने के बाद तनुजा की हर विश हर मन्नत पूरी हो गई थी!
एंजल और प्रिंसेस एक दूसरे के साथ बोहोत खुश थे। नवरात्रि के वक्त तनुजा का 9 दिन तक फास्ट था। प्रिंसेस ने तनुजा से पूछा "लंच किया तुमने"
तब तनुजा ने बोला उसका फास्ट है 9 दिन का, तो प्रिंसेस परेशान हो गई फिकर करने लगी। बोला की "फास्ट क्यू रखा ,इतनी छोटी हो वो भी 9 दिन का कोई जरूरत नही है, फास्ट रखने की जाओ और खाना खाओ"
तनुजा ने बोला की "मैं हमेशा रखती हूं प्रिंसेस ,और मैं ठीक हुं प्लीज़ मुझे रखने दो"
बोहोत मनाने के बाद प्रिंसेस मान गई। और बोला की फ्रूट्स खाना जूस पीना और अपना ख्याल रखना रेस्ट करना, तब न जाने कैसा दिन था किया हुआ था सायद माता रानी का आशीर्वाद तनुजा ने बोला "प्रिंसेस आप तो मां की तरह मेरी केयर कर रहे हो, मेरी फिकर कर रहे हो"
तब प्रिंसेस ने कहा "मैं मां ही तो हूं" उन्होंने कहा में "तुम्हे बेटी बुला सकती हूं" उस दिन तनुजा बोहोत खुश थी उसने बोला "हां प्रिंसेस"
तब से प्रिंसेस और एंजल मां बेटी बन गए ,प्रिंसेस तनुजा को खुद से जादा प्यार करने लगी ,खुद की खुशी से पहले तनुजा की खुशी उसकी केयर ,उसका फ्यूचर उसकी हेल्थ उसकी पढ़ाई उसका खाना- पीना उसकी खुशी हर चीज़ उसके लिए"
एक दिन प्रिंसेस ने तनुजा से कहा मुझे तुमसे बोहोत टाइम से कुछ कहना है, लेकिन डर है तुम्हे बुरा न लग जाए"
तनुजा ने बोला "प्रिंसेस बोलिए किया हुआ, किया बात है?" प्रिंसेस ने तनुजा से कहा "जैसे रुही इशिता को इशिमा कहकर बुलाती है, वैसे तुम भी कुछ नाम रखो ,और मुझे बुलाओ मुझे अच्छा लगेगा"
तब तनुजा ने प्रिंसेस और मां को मिला कर अपनी प्रिंसेस को एक न्यू नेम दिया।(प्रिंसिमा) प्रिंसेस ये नाम सुनते ही बोहोत खुश हुई। और तबसे तनुजा प्रिंसेस को प्रिंसिमा बुलाने लगी।
प्रिंसिमा ने तनुजा को बोहोत नाम दिए एंजल, लाडो,लाडली, बेटू, छोटी शैतान, बुबू, मेरी जान, और मेरा बच्चा!
प्रिंसेस और तनुजा के बीच झगड़े हुए लड़ाई भी हुई ,गलतफहमी भी हुई लेकिन दोनो एक दूसरे के बगैर नही रह सकते ,सिर्फ शब्दो में गुस्सा नाराज़गी थी, कभी नफरत नहीं। सुबह झगड़ा शाम को बात।
प्रिंसिमा ने अपनी लाडो को बोहोत नाजों से लाड प्यार से रखा है प्रिंसिमा ने लाडो को नई ज़िंदगी दी है। 2019 में प्रिंसिमा सिर्फ 22 साल की थी"
जन्म देने वाली मां जो अपने बच्चे के लिए करती है उससे जादा पालने वाली मां ने अपनी लाडो के लिए किया है, कितनी बार अपनी नींद खराब कर लाडो को सुलाया ,काम छोड़ कर लाडो से बात की उसकी हर जिद्द पूरी की अपनी पलकों पर बैठा कर रखा हमेशा मां ना होते हुए भी एक बेहतरीन मां का फर्ज निभाया"
लोगो ने कितना कुछ बोला लेकिन अपनी लाडो की खुशी के लिए लोगो की बातें उनके ताने सुने
यशोदा और कान्हा जैसा पवित्र रिश्ता है लाडो और उसकी प्रिंसिमा का
टीचर स्टूडेंट से लेकर प्रिंसेस एंजल से होते हुए प्रिंसिमा और लाडो का सफर।
लाडो की जिंदगी है उसकी प्रिंसिमा
Love u princimaa😘❣️
2019 से 2023 में भी प्रिंसिमा और लाडो साथ हैं।।
#प्रतियोगिता हेतु
Madhumita
20-Jun-2023 04:46 PM
Nice 👍🏼
Reply
Abhinav ji
17-Jun-2023 08:41 AM
Very nice 👍
Reply
ऋषभ दिव्येन्द्र
16-Jun-2023 06:35 PM
शानदार कहानी
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